Discovery of electron ,proton and in Hindi
Discovery of electron, proton and in hindi:-सामान्य परिभाषा के अनुसार परमाणु एक किसी भी तत्व का एक सबसे छोटा कण होता है, जो रासायनिक अभिक्रियाओं को दर्शाता है, जिससे तत्व की पहचान होती है। लेकिन परमाणु में कई और इससे छोटे कण होते है जो अपनी विशेष गुण प्रदर्शित करती है। जैसे की इलेक्ट्रान नाभिक के चारो ओर अपने ही अक्ष से घूमते हुए चक्रण करती है ।वही न्युट्रान और प्रोटान जो परमाणु का कोर या नाभिक की रचना करती है। परमाणु के द्रब्यमान में इलेक्ट्रान कण का द्रब्यमान नगण्य होता है ।यह रासायनिक क्रियाओं को प्रदर्शित करता है ,और इसमे नेगेटिव(-1) चार्ज होता है। इशी प्रकार न् प्रोटोन में पाजेटिव(+1) होता है ,व् इसी प्रकार न्यूट्रॉन में कोई आवेश नहीं होता है। 1. Discovery of electron :- इलेक्ट्रान की खोज सर j. j. thomson ने 1897 में अपने चयनित उपकरण से किया जैसा कि चित्र में दिखाया गया है ,और इसका निर्धारण किया । उन्होंने एक विसर्जन नली दो इलेक्ट्रोड के बीच उचित गैस भरकर व् (5000- 10000) वोल्ट के बीच विभवांतर लगाया और दाब 10,-2 व् 10,-4 तक कम किया जिससे गैस में इलेक्ट्रान पुंज निकाला और कैथोड किरणे कहा गया । इसी को इलेक्ट्रान कहा गया।
2. discovery of proton:- सन 1886 में गोल्डस्टाइन ने इस् धनावेशित भाग की खोज की। उन्होंने विसर्जन नलिका के प्रयोग को छिद्रयुक्त कैथोड के साथ दोहराकर यह पाया कि किरणों के निकलने के बाद कुछ समय बाद चमकदार धनावेशित कानो की धारा एनोड से कैथोड की ओर चलती है । इसे एनोड किरणे या कैनाल किरणे भी कहते है।यही प्रोटोन कण है
2. discovery of proton:- सन 1886 में गोल्डस्टाइन ने इस् धनावेशित भाग की खोज की। उन्होंने विसर्जन नलिका के प्रयोग को छिद्रयुक्त कैथोड के साथ दोहराकर यह पाया कि किरणों के निकलने के बाद कुछ समय बाद चमकदार धनावेशित कानो की धारा एनोड से कैथोड की ओर चलती है । इसे एनोड किरणे या कैनाल किरणे भी कहते है।यही प्रोटोन कण है
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